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राजस्थान की मरुभूमि में "रेगिस्तानी जहाज रा भायला"  यानी ऊँटों की सज्जा और उनसे जुड़ी लोककलाएँ केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवित संस्कृति हैं। इन्हीं लोककलाओं को समझने, सराहने और संरक्षित करने के उद्देश्य से JGO फाउंडेशन  द्वारा ‘पर्यटन-संगम’ नामक एक विशेष परियोजना का आयोजन किया गया। इस परियोजना के अंतर्गत, JGO टीम बीकानेर के निकट स्थित उदासर गाँव पहुँची, जो ऊँट सज्जा कला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पीढ़ियों से ऊँटों के बालों की कटिंग, रंगाई और कलात्मक साज-सज्जा का कार्य किया जाता रहा है। इन कलाकारों की मेहनत और कला न केवल राजस्थान के पर्यटन की पहचान हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण अंग भी हैं।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य इन लोक कलाकारों की वास्तविकता से रूबरू होना था—उनकी रोजमर्रा की चुनौतियाँ, तकनीकी कौशल, पारिवारिक परिस्थितियाँ और उनकी कला के प्रति समर्पण को नजदीक से देखना और समझना। साथ ही, इस पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीकी सहायता के माध्यम से नई पहचान दिलाने, रोजगार के अवसरों का सृजन करने और पर्यटन-इकोसिस्टम को मजबूत करने का प्रयास भी इस परियोजना का महत्वपूर्ण भाग था। ऊँट उत्सव जैसे आयोजनों में इन कलाकारों को मंच दिलाना और उनकी प्रतिभा को वैश्विक स्तर तक पहुँचाना भी इसी उद्देश्य से जुड़ा है।

परियोजना की प्रमुख गतिविधियों में कलाकारों से सीधा संवाद, उनकी कला की फोटोग्राफी और डॉक्यूमेंटेशन, समस्याओं पर योजना आधारित चर्चा, तथा JGO फाउंडेशन की टीम द्वारा स्वंसेवक सहयोग प्रमुख रहे। इस पूरी प्रक्रिया में कलाकारों की कला को प्रचारित करने के लिए फोटो और वीडियो सामग्री भी तैयार की गई, जिसे सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्मों पर साझा किया गया।

इस पहल से सामाजिक संवेदनशीलता में वृद्धि हुई, और कलाकारों को अपनी कला के लिए एक नई पहचान मिली। कई कलाकारों ने यह भी बताया कि उन्हें पहली बार लगा कि कोई संस्था उनके कार्य को इतने सम्मान और गंभीरता से देख रही है। इसके अतिरिक्त, भविष्य में प्रशिक्षण, ब्रांडिंग और रोजगार के अवसर विकसित करने के लिए भी नींव रखी गई।

JGO फाउंडेशन की यह सोच है कि इन कलाकारों को केवल पर्यटन का हिस्सा न मानकर उन्हें संस्कृति के संवाहक के रूप में सम्मानित किया जाए। आने वाले समय में फाउंडेशन कौशल केंद्र, डिजिटल प्रशिक्षण और मार्केटिंग प्लेटफॉर्म जैसी योजनाओं के माध्यम से इन कलाकारों के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायक बनेगा। यह परियोजना केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक चेतना थी—जिसने संस्कृति, संवेदना और सेवा को एक साथ जोड़ा।