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JGO फाउंडेशन द्वारा संचालित ""शिक्षा के क्षेत्र में पहल" " प्रोजेक्ट एक अनूठा प्रयास रहा, जिसका उद्देश्य समाज के वंचित वर्ग, विशेष रूप से प्रवासी व ग्रामीण बस्तियों में रहने वाले बच्चों को भारतीय संस्कृति, धर्म, राष्ट्रीयता और सदाचार से जोड़ना था।, जिसमें विभिन्न स्वंसेवकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इस प्रोजेक्ट में उन बच्चों को चुना गया जो शिक्षा से जुड़े तो हैं, पर मार्गदर्शन के अभाव में अपने जीवन के मूलभूत संस्कारों जैसे अनुशासन, स्वच्छता, अध्ययन और नैतिक शिक्षा से वंचित हैं। उनके माता-पिता दैनिक मजदूरी में व्यस्त रहते हैं, जिससे बच्चों को शिक्षा और संस्कारों का समुचित वातावरण नहीं मिल पाता। ऐसे में JGO फाउंडेशन ने पहल कर इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया।

प्रोजेक्ट के तहत बच्चों को गीता के श्लोक, राष्ट्रगान, सदाचार के मंत्र और नैतिक जीवन मूल्यों का अभ्यास कराया गया। इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में न केवल धार्मिक व सांस्कृतिक जागरूकता आई, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन और देशभक्ति की भावना भी जागृत हुई। कुल 16 बच्चों को इस परियोजना में प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से कुछ को पाँच महीनों की अवधि में और कुछ को एक माह की विशेष अवधि में संस्कारों का अभ्यास कराया गया। बच्चों ने गीता के 15 अध्यायों में से 12 मुख्य श्लोकों का अभ्यास कर उन्हें आत्मसात किया। इसके साथ ही राष्ट्रगान का अभ्यास कर उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध कराया गया। परियोजना में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 15 बच्चों को पुरस्कार प्रदान किए प्रोजेक्ट का विशेष फोकस उन बस्तियों पर था जहाँ सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक संसाधनों की कमी के कारण बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता। लेकिन इस पहल ने न केवल इन बच्चों के भीतर संस्कार और चेतना का संचार किया, बल्कि उन्हें बेहतर नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित भी किया। बच्चों ने जहाँ संस्कृत श्लोकों में रुचि दिखाई, वहीं उनके व्यवहार और सोच में भी सकारात्मक बदलाव देखा गया। यह प्रोजेक्ट एक प्रमाण है कि यदि सही मार्गदर्शन और समर्पण मिले, तो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े बच्चों को भी उज्ज्वल भविष्य की दिशा दी जा सकती है। "शिक्षा के क्षेत्र में पहल" प्रोजेक्ट ने समाज के लिए यह संदेश दिया कि संस्कृति, शिक्षा और संवेदनशीलता से ही सामाजिक समरसता संभव है।