राष्ट्रीयता की उमंग
“वंदे मातरम् – राष्ट्रभावना का संगम”
JGO Foundation का शिक्षा संगम प्रोजेक्ट – झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों संग देशभक्ति की अनमोल सीख
JGO Foundation (जय गणेशी ओर्गेनाइजर फाउंडेशन ) की टीम ने “शिक्षा संगम प्रोजेक्ट” के अंतर्गत झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास किया है। रोज़ाना होने वाले शिक्षण सत्रों में जहाँ बच्चों को हिंदी, अंग्रेज़ी और गणित जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं, वहीं विशेष पर्वों और ऐतिहासिक अवसरों पर उनसे जुड़ी कहानियाँ और तथ्य भी साझा किए जाते हैं ताकि बच्चों में न केवल ज्ञान, बल्कि संवेदनशीलता और जागरूकता भी विकसित हो सके।
इसी श्रृंखला में 7 नवम्बर 2025 को टीम ने बच्चों के साथ एक प्रेरक सत्र आयोजित किया, जिसका विषय था – “वंदे मातरम् के 150 वर्ष”। इस अवसर पर बच्चों को बताया गया कि “वंदे मातरम्” हमारे भारत देश का राष्ट्रगीत है। उन्हें यह भी समझाया गया कि इसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी और इसे 1950 में हमारे देश के राष्ट्रगीत के रूप में मान्यता मिली।
टीम ने बच्चों को यह भी बताया कि कैसे यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के समय भारतीयों के हृदय में देशभक्ति और एकता की भावना का प्रतीक बना। हालाँकि बहुत से बच्चे विद्बायालय नही जाते ना ही आंगनबाड़ी , बच्चों बातचीत के दौरान जब कुछ बच्चों ने बताया कि उन्होंने यह गीत अपने सरकारी स्कूल में सुना था, तो सभी के चेहरों पर पहचान और गर्व की झलक दिखाई दी।
इसके बाद बच्चों के साथ “वंदे मातरम्” गीत का सामूहिक अभ्यास कराया गया। कुछ बच्चों ने 1–2 पंक्तियाँ याद कर मंच पर बोलने का साहस भी दिखाया। अंत में सभी बच्चों ने मिलकर पूरे गीत का हमरे साथ अभ्यास किया और फिर उत्साहपूर्वक गायन किया — यह दृश्य न केवल बच्चों के लिए, बल्कि हमारी टीम के लिए भी भावनात्मक और गर्व से भरा क्षण था।
इस गतिविधि का उद्देश्य बच्चों को सिर्फ शिक्षा देना नहीं, बल्कि उन्हें राष्ट्रधारा से जोड़ना था — ताकि वे समझ सकें कि वे भी भारत के जिम्मेदार नागरिक हैं। झुग्गी-झोपड़ी की सीमित परिस्थितियों में रहते हुए भी जब बच्चों ने राष्ट्रगीत की ध्वनि में अपनी आवाज़ मिलाई, तो वहाँ का हर कोना “वंदे मातरम्” की गूंज से भर उठा।
JGO Foundation का यही सतत प्रयास है कि हर बच्चा न केवल शिक्षित बने, बल्कि देश के प्रति प्रेम, सम्मान और जिम्मेदारी की भावना से भी ओत-प्रोत हो।
क्योंकि —“शिक्षा ही वह दीपक है, जो अंधेरे मन में राष्ट्रप्रेम की ज्योति जला देता है।”